विद्युत मोटर मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं –
AC motor और DC motor के बारे में मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ । डीसी मोटर में कई भाग होते हैं जैसे – फील्ड, आर्मेचर, योक, कम्यूटेटर आदि ।
DC आर्मेचर की वाइंडिंग मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
● लैप वाइंडिंग ( Lap winding )
● वेव वाइंडिंग ( wave winding )
यहां मैं आपको लैप वाइंडिंग और वेव वाइंडिंग के बारे में बताने वाला हूँ ।
पोस्ट में ये जानकारी है -
Lap winding and Wave winding difference in hindi
लैप वाइंडिंग क्या है ?
इसमें पहली coil के अंतिम सिरे और दूसरी coil के प्रारंभिक सिरे को एक कम्यूटेटर सेगमेंट से जोड़ा जाता है और इसी प्रकार पूरी वाइंडिंग की जाती है ।
Lap winding में समान्तर परिपथों की संख्या पोल की संख्या के बराबर होती है ।
Lap winding में धारा का मान उच्च और वोल्टता का मान निम्न रहता है ।
वेव वाइंडिंग क्या है
इसमें coil के सिरे कम्यूटेटर पर तरंग का आकार बनाते हैं, इसीलिए इसे तरंग कुण्डलन (wave winding) कहते हैं ।
वेव वाइंडिंग में समांतर परिपथों की संख्या 2 होती है ।
Wave winding में धारा का मान निम्न और वोल्टता का मान उच्च होता है ।