स्वप्रेरण एवं अन्योन्य प्रेरण में अंतर लिखिए

विभिन्न प्रकार की विद्युत् मशीनें विभिन्न प्रकार के सिद्धांतों और नियमों पर कार्य करती हैं जैसे फ्लेमिंग के बाएं हाथ का नियम, फ्लेमिंग के दाएं हाथ का नियम, अन्योन्य प्रेरण का सिद्धांत, स्वप्रेरण का सिद्धांत, लेंज का नियम आदि।

यहां मैं आपको स्वप्रेरण और अन्योन्य प्रेरण में अंतर बताने वाला हूँ। दोनों सिद्धांत कुछ कुछ एक दूसरे से मिलते हुए ही हैं लेकिन इनमें थोड़ा अंतर है और दोनों ही नियमों का कार्य सिद्धांत भी अलग है।

पोस्ट में ये जानकारी है -

स्वप्रेरण क्या है?

जब किसी कुंडली में बहने वाली धारा का मान परिवर्तित होता है तो उस कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है, इस घटना को स्वप्रेरण कहते हैं।

अन्योन्य प्रेरण क्या है?

जब किसी कुंडली में बहने वाली धारा का मान परिवर्तित होता है तो उस कुंडली के पास स्थित अन्य कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है, इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं।

स्वप्रेरण तथा अन्योन्य प्रेरण में क्या अंतर है

  • स्वप्रेरण एक कुंडली द्वारा स्वयं होता है जबकि अन्योन्य प्रेरण दो कुंडलियों द्वारा होता है।
  • स्वप्रेरण में उत्पन्न धारा, मुख्य धारा को सीधे प्रभावित करती है जबकि अन्योन्य प्रेरण में उत्पन्न धारा, मुख्य धारा को सीधे प्रभावित नहीं करती।
  • स्वप्रेरण को इंग्लिश में Self Induction कहते हैं तथा अन्योन्य प्रेरण को इंग्लिश में Mutual Induction कहते हैं।

1 thought on “स्वप्रेरण एवं अन्योन्य प्रेरण में अंतर लिखिए”

Leave a Comment