किसी भी इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में कई तरह के अवयव होते हैं जैसे – प्रतिरोध, चालक, संधारित्र, डायोड आदि ।
अपनी इस पोस्ट में मैं आपको संधारित्र (capacitor) के बारे में बताने वाला हूं कि कंडेनसर किसे कहते हैं ? धारिता क्या होती है ? कंडेंसर कैसे काम करता है ? संधारित्र का श्रेणी क्रम में और समांतर क्रम में संयोजन किस प्रकार होता है ? इसका श्रेणी क्रम और समांतर क्रम संयोजन का सूत्र क्या है ?
पोस्ट में ये जानकारी है -
कैपेसिटर क्या होता है ?
कैपेसिटर एक ऐसी युक्ति है जिसमे विद्युत आवेश को एकत्रित किया जाता है और किसी चालक की धारिता को बढ़ाया जाता है ।
कंडेनसर को कैपेसिटर या संधारित्र भी कहते हैं ।
कंडेनसर में दो चालक प्लेटों को एक-दूसरे के निकट स्थापित कर दिया जाता है और दोनों प्लेटों के बीच में अचालक पदार्थ जैसे – कागज, माइका आदि को भर दिया जाता है ।
संधारित्र को किसी विद्युत स्त्रोत से संयोजित करने पर एक प्लेट में धनात्मक आवेश तथा दूसरी प्लेट पर समान मात्रा में ऋणात्मक आवेश आ जाता है ।
इसके बाद अगर विद्युत स्त्रोत को हटा दिया जाये फिर भी संधारित्र कुछ समय तक आवेशित बना रहता है ।
संधारित्र की धारिता क्या है ?
संधारित्र के विद्युत आवेश एकत्रित करने की क्षमता को संधारित्र की धारिता (C) कहते है, इसका मात्रक फैरड है ।
संधारित्र की धारिता, संधारित्र में प्लेटों के बीच की दूरी, प्लेटों के क्षेत्रफल, उनके बीच के अचालक पदार्थ आदि पर निर्भर करती है ।
किसी चालक का विभव, उसके आवेश के अनुक्रमानुपाति होता है
Q ∝ V
Q = CV
या C = Q/V
यहां C एक नियतांक है जिसे चालक की धारिता कहते है ।
संधारित्र का संयोजन | Connection of Capacitor
श्रेणी क्रम – श्रेणी क्रम में संधारित्रों की कुल धारिता
1/C = 1/C1 + 1/C2 + 1/C3
समानांतर क्रम – समानांतर क्रम में संधारित्रों की कुल धारिता C = C1 + C2 + C3
Extra tip : किसी विद्युत परिपथ, मशीन आदि में मरम्मत करने से पहले उसमे लगे कैपेसिटर के आवेश को विसर्जित कर देना चाहिए । क्योंकि बड़े कैपेसिटर में अधिक आवेश होता है जिससे भयंकर विद्युत झटका लग सकता है ।
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