AC विद्युत के पारेषण में ट्रांसफार्मर बहुत जरूरी है इस पोस्ट में मैं आपको ट्रांसफार्मर की विस्तृत जानकारी दूंगा।
![ट्रांसफार्मर क्या है](http://electricjankari.com/wp-content/uploads/2020/02/25E025A4259F25E025A5258D25E025A425B025E025A425BE25E025A4258225E025A425B825E025A425AB25E025A425BE25E025A5258525E025A425B025E025A5258D25E025A425AE25E025A425B0.jpg)
पोस्ट में ये जानकारी है -
ट्रांसफार्मर क्या है
ट्रांसफार्मर एक ऐसी युक्ति है जो प्रत्यावर्ती धारा (AC Current) के वोल्टेज को कम तथा अधिक कर सकता है तथा एक परिपथ से दूसरे परिपथ में स्थानांतरित कर सकता है, इसे हिन्दी में परिणामित्र कहते है।
ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत
ट्रांसफार्मर म्यूचुअल इण्डक्टेंस (Mutual Inductance) के सिद्धांत पर कार्य करता है।
ट्रांसफार्मर की संरचना
ट्रांसफार्मर में दो वाइण्डिंग्स होती है –
- प्राथमिक वाइण्डिंग (Primary Winding)
- द्वितीयक वाइण्डिंग (Secondary Winding)
जो वाइण्डिंग इनपुट विद्युत सप्लाई से संयोजित की जाती है वह प्राइमरी वाइण्डिंग होती है।
तथा जो वाइण्डिंग लोड से संयोजित होती है वह सेकेंडरी वाइण्डिंग होती है।
ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते है
ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं –
फेज संख्या के आधार पर
- सिंगल फेज ट्रांसफार्मर
- 3 फेज ट्रांसफार्मर
आउटपुट के आधार पर
- Step up (उच्चाई ट्रांसफार्मर)
- Step Down (अपचायी ट्रांसफार्मर)
कोर (Core) के आधार पर
- शैल प्रकार का
- क्रोड प्रकार का
- बैरी प्रकार का
इसके अलावा ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण और भी प्रकार से किया जाता है जैसे – पावर ट्रांसफार्मर तथा डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर आदि।
करंट ट्रांसफार्मर और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर क्या होता है
Step Down और Step up ट्रांसफार्मर क्या है?
Step Down (उच्चायी) – इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में अधिक वोल्टेज की विद्युत ऊर्जा इनपुट की जाती है और आउटपुट के में कम वोल्टेज की विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है।
Step up (अपचायी) – इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में कम वोल्टेज की विद्युत ऊर्जा इनपुट की जाती है और आउटपुट के में अधिक वोल्टेज की विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है।
Step up और Step down ट्रांसफार्मर में अंतर
ट्रांसफार्मर कैसे कार्य करता है?
ट्रांसफार्मर में जब प्राइमरी वाइण्डिंग में विद्युत ऊर्जा प्रवाहित की जाती है तो प्राइमरी वाइण्डिंग के चारों ओर विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
इस चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव से सेकेंडरी वाइण्डिंग विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है।
ट्रांसफार्मर में आउटपुट विद्युत ऊर्जा लगभग समान ही रहती है लेकिन वोल्टेज तथा धारा का मान बदल जाता है।
अगर ट्रांसफार्मर Step-up है तो वोल्टेज अधिक तथा धारा को जाती है और यदि ट्रांसफार्मर Step Down है तो वोल्टेज कम तथा धारा अधिक हो जाती है।
क्योंकि P = VI
ट्रांसफार्मर का उपयोग
विद्युत उत्पादन केंद्र पर उत्पादित विद्युत शक्ति के पारेषण करने के लिये इसे Step up किया जाता है।
क्योंकि अधिक धारा की विद्युत ऊर्जा के लम्बी दूरी तक पारेषण में अधिक ऊर्जा क्षय होता है।
इसके अलावा Transformer की दक्षता अधिक होती है।